पुणे में जीबीएस का प्रकोप: क्या है यह जानलेवा बीमारी?

तीसरी मौत ने बढ़ाई चिंता, जानिए लक्षण, बचाव और अधिक

पुणे में जीबीएस के प्रकोप से चिंता, तीसरी मौत ने बढ़ाई है आशंका! क्या है यह जानलेवा बीमारी और कैसे बचें इससे? इस ख़बर में जानिए हर पहलू से जुड़ी पूरी जानकारी।

पुणे में जीबीएस से तीसरी मौत: 36 वर्षीय व्यक्ति की मौत

पिंपरी चिंचवड़ में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से पीड़ित एक 36 वर्षीय व्यक्ति की यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल (वाईसीएम) अस्पताल में मृत्यु हो गई। यह जीबीएस से होने वाली तीसरी मौत है। मृतक पिंपले गुरव का रहने वाला था और उसे सांस लेने में तकलीफ और निगलने में कठिनाई हो रही थी। 21 जनवरी को उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

अस्पताल के डॉक्टरों ने जीबीएस की आशंका के चलते तंत्रिका चालन परीक्षण कराया, जिसकी रिपोर्ट 22 जनवरी को पॉजिटिव आई। हालांकि, अस्पताल का कहना है कि मरीज की मौत निमोनिया के कारण हुई है।

जीबीएस का प्रकोप: चिंता और सावधानी

पिंपरी-चिंचवड़ में अब तक 13 लोग जीबीएस से संक्रमित पाए गए हैं। इनमें से 5 स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं, जबकि 6 का इलाज चल रहा है। दो की मौत हो चुकी है। इस बढ़ते प्रकोप ने शहर में चिंता फैला दी है।

स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से घबराने को नहीं कहा है और एक हेल्पलाइन नंबर 7758933017 जारी किया गया है। पीसीएमसी के स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. लक्ष्मण गुलेल के अनुसार, “जिस मरीज की मौत हुई, उसे निमोनिया था और उसकी श्वसन प्रणाली फेल हो गई। हालांकि, वह जीबीएस से संक्रमित था लेकिन उसकी मौत इस बीमारी से नहीं हुई। शहर में जीबीएस का कोई बड़ा खतरा नहीं है।”

जीबीएस क्या है और इसके लक्षण

गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर तंत्रिका तंत्र विकार है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली अपनी ही नसों पर हमला करती है। यह आमतौर पर संक्रमण या अन्य बीमारियों के बाद होता है।

जीबीएस के लक्षणों में मांसपेशियों में कमजोरी, सांस लेने में कठिनाई, निगलने में परेशानी, झुनझुनी या सुन्नपन शामिल हैं। अगर आपको ये लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर इलाज से मरीज ठीक हो सकते हैं।

सरकार की प्रतिक्रिया और आगे की योजनाएँ

पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम (पीसीएमसी) ने स्थिति पर नजर रखने और प्रभावित लोगों की मदद करने के लिए कदम उठाए हैं। हेल्पलाइन नंबर के अलावा, अधिकारियों ने लोगों को जागरूक करने और जीबीएस के बारे में जानकारी फैलाने पर भी ध्यान केंद्रित किया है।

“हमारे पास एक समर्पित टीम है जो जीबीएस के मामलों की निगरानी कर रही है और प्रभावित व्यक्तियों को आवश्यक चिकित्सा देखभाल प्रदान कर रही है,” डॉ. गुलेल ने कहा। “हम लोगों को जागरूक करने के लिए भी काम कर रहे हैं ताकि वे जीबीएस के लक्षणों के बारे में जान सकें और समय पर इलाज ले सकें।”

निष्कर्ष: सावधानी ही सुरक्षा

पुणे में जीबीएस के प्रकोप ने हमें इस दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। समय पर पहचान और उचित चिकित्सा उपचार से जीबीएस से होने वाली जटिलताओं को कम किया जा सकता है। लक्षणों के प्रति जागरूक रहें और किसी भी चिंता के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क करें। सावधानी ही सुरक्षा है।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि भले ही जीबीएस दुर्लभ है, यह गंभीर हो सकता है और त्वरित ध्यान देने की आवश्यकता है। इसलिए, लक्षणों को अनदेखा न करें और सहायता लें।

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