क्या GBS से पूरी तरह ठीक होना संभव है?

नीलेश अभंग की कहानी एक प्रेरणा है

गिलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) से पीड़ित नीलेश अभंग की प्रेरणादायक कहानी ने उम्मीद की किरण जगाई है। क्या आप जानते हैं कि यह बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है? इस लेख में जानिए नीलेश की संघर्ष, पुनर्वास, और GBS से जूझ रहे लोगों के लिए उनकी सलाह।

GBS से जंग: उम्मीद की कहानी

पुणे के नीलेश अभंग की कहानी एक प्रेरणा है, जो गिलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) जैसी गंभीर बीमारी से जूझने के बाद पूरी तरह स्वस्थ हुए। उनके अनुभव से पता चलता है कि GBS इलाज योग्य है और उचित देखभाल से पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त किया जा सकता है।

नीलेश का अनुभव

2019 में GBS के शिकार नीलेश को साढ़े चार महीने तक अस्पताल के गहन चिकित्सा इकाई में रहना पड़ा था। उन्होंने लोकमत को बताया, “मेरी बीमारी 19 जनवरी 2019 को शुरू हुई, जब मैं पूरी तरह से कमजोर हो गया। 30 मई 2019 को मैं वेंटिलेटर से बाहर आया। मेरा शरीर पूरी तरह से निष्क्रिय हो गया था।” लेकिन लगातार फिजियोथेरेपी और दृढ़ संकल्प से, नीलेश ने अपनी सेहत वापस पाई।

फिजियोथेरेपी की महत्व

नीलेश के अनुसार, फिजियोथेरेपी GBS के इलाज में अहम भूमिका निभाती है। “यह शरीर के प्रभावित हिस्सों को ठीक करने का एकमात्र तरीका है। नियमित फिजियोथेरेपी से अंगों में अकड़न और अन्य गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है,” नीलेश ने बताया। परिवार और रिश्तेदारों की सक्रिय भागीदारी भी इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्हें मरीज को नियमित रूप से फिजियोथेरेपी के लिए ले जाना होता है।

समय का महत्व

“प्रारंभिक इलाज और फिजियोथेरेपी से जल्दी ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। डॉक्टर की सलाह को अनदेखा नहीं करना चाहिए। शुरुआत से ही फिजियोथेरेपी पर ध्यान देने से स्थायी विकलांगता से बचा जा सकता है।” नीलेश ने जोर देते हुए कहा। जैसे-जैसे शरीर ठीक होता है, मांसपेशियों में ताकत आती है, लेकिन देरी से इलाज प्रभावी नहीं रहेगा।

GBS के लक्षण और उपचार

GBS के लक्षणों में हाथों या पैरों में झुनझुनी, कमजोरी, और सांस लेने में कठिनाई शामिल है। यदि ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना आवश्यक है। डॉ. श्रद्धा मोरे, सहायक प्रोफेसर, केईएम अस्पताल, मुंबई का मानना है कि समय पर उपचार से GBS पूरी तरह से ठीक हो सकता है।

सकारात्मक मनोबल

नीलेश अभंग का संदेश स्पष्ट है: “सकारात्मक रहें। GBS इलाज योग्य है। सही समय पर उपचार लें और पूरी तरह स्वस्थ होने का विश्वास रखें।” उनकी कहानी एक प्रेरणा है उन सभी के लिए जो इस बीमारी से जूझ रहे हैं।

निष्कर्ष

नीलेश अभंग की यात्रा दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प, उचित इलाज और सकारात्मक सोच से किसी भी बीमारी पर विजय पाई जा सकती है। GBS से पीड़ित लोगों को हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि उचित इलाज और फिजियोथेरेपी से पूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त करने की उम्मीद रखनी चाहिए।

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