गुड़ व्यापारियों के लिए बड़ी खबर! लाइसेंस अनिवार्य, नहीं तो होगी कार्रवाई
शिरूर कृषि उपज बाजार समिति ने जारी किया आदेश, 31 जनवरी 2025 तक लेना होगा लाइसेंस
गुड़ व्यापारियों के लिए लाइसेंस अनिवार्य
शिरूर कृषि उपज बाजार समिति ने गुड़ के व्यापारियों के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य कर दिया है। बिना लाइसेंस के व्यापार करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश 31 जनवरी 2025 तक लागू होगा।
क्यों है यह आदेश जरूरी?
शिरूर कृषि उपज बाजार समिति के प्रशासक अरुण सकोरे ने बताया कि यह कदम किसानों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है। बिना लाइसेंस के व्यापार से किसानों के साथ धोखाधड़ी की संभावना बढ़ जाती है। लाइसेंस से व्यापार को नियमित किया जा सकेगा और किसानों को उचित मूल्य मिल सकेगा। उन्होंने कहा, “हमारे लिए किसानों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। यह आदेश सुनिश्चित करेगा कि उनके साथ कोई अन्याय न हो।”
महाराष्ट्र कृषि उपज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1963 और नियम, 1967 की धारा 7 के तहत व्यापारियों को लाइसेंस लेना अनिवार्य है। बिना लाइसेंस व्यापार करने पर अधिनियम की धारा 32 'ए' के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
कैसे प्राप्त करें लाइसेंस?
गुड़ के व्यापारियों को तुरंत बाजार समिति शिरूर के मुख्य कार्यालय या तालेगांव धमधेरे में उप-बाजार से संपर्क करना होगा। लाइसेंस संबंधी जानकारी के लिए सचिव अनिल ढोकले और सहायक सचिव अनिल धमदेरे से संपर्क किया जा सकता है। समिति ने व्यापारियों को 31 जनवरी 2025 से पहले लाइसेंस प्राप्त करने का आदेश दिया है।
समिति के एक अधिकारी ने कहा, “हम व्यापारियों से सहयोग की अपील करते हैं। यह आदेश किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के हित में है।”
क्या होगा अगर लाइसेंस नहीं लिया गया?
अगर कोई व्यापारी निर्धारित समय सीमा के बाद भी बिना लाइसेंस व्यापार करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई अधिनियम की धारा 32 'ए' के तहत की जाएगी।
स्थानीय प्रतिक्रियाएं
स्थानीय किसानों ने इस कदम का स्वागत किया है। एक किसान ने कहा, “यह बहुत अच्छा कदम है। अब हम धोखाधड़ी से बचेंगे।” दूसरे व्यापारियों ने भी लाइसेंस लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
आगे का रास्ता
शिरूर कृषि उपज बाजार समिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे इस आदेश को पूरी तरह से लागू करेंगे। वे व्यापारियों से सहयोग की उम्मीद करते हैं और समय पर लाइसेंस प्राप्त करने का आग्रह करते हैं।
यह कदम महाराष्ट्र में गुड़ के व्यापार को विनियमित करने और किसानों के हितों की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।