क्या अमित शाह मांगेंगे माफ़ी?
दलित नेता ने बीजेपी पर लगाया गंभीर आरोप
बीजेपी की अंबेडकर विरोधी मानसिकता पर उठे सवाल
महाराष्ट्र की सांसद रजनी पाटिल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया है और माफ़ी की मांग की है। यह बयान बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती है और दलितों व पिछड़े वर्गों में रोष पैदा कर सकता है।
पाटिल का कहना है कि बीजेपी और आरएसएस के दिल में अंबेडकर के प्रति गुस्सा है और महापुरुषों का अपमान उनके लिए एक विकृति बन गया है। उन्होंने बीजेपी शासित प्रदेशों में पिछड़े वर्गों पर हो रहे अत्याचारों की ओर भी ध्यान दिलाया।
अमित शाह पर माफी की मांग
पाटिल ने कहा, "बीजेपी के पेट में जो था, वह अब जुबान पर आ गया। इससे साफ़ हो गया है कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दिल में डॉ. अंबेडकर के प्रति कितना गुस्सा है।" उन्होंने अमित शाह पर संविधान निर्माताओं का घोर अपमान करने का आरोप लगाते हुए कहा कि दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के प्रति बीजेपी की मानसिकता बेहद घृणित है।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया, "ऐसे में प्रधानमंत्री मौन क्यों हैं? क्या वह इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया देंगे?" यह बयान बीजेपी और उसके समर्थकों के लिए एक गंभीर चुनौती है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
पाटिल के बयान का राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव काफी गहरा हो सकता है। यह दलितों और पिछड़े वर्गों के बीच बीजेपी के प्रति असंतोष को दर्शाता है। आगामी चुनावों में इस बयान का असर देखने लायक होगा।
विभिन्न राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका है और उन्हें अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। दलित समुदाय के वोटों पर बीजेपी का प्रभाव कम हो सकता है।
आगे क्या?
अब देखना यह है कि बीजेपी इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया देती है। क्या अमित शाह माफ़ी मांगेंगे या इस मुद्दे को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करेंगे? इस घटना के बाद देश भर में तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं और बहस छिड़ गई है।
यह मामला भारतीय राजनीति में दलितों और पिछड़े वर्गों के मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करता है और बीजेपी की सामाजिक न्याय संबंधी नीतियों पर सवाल उठाता है। इस घटना का व्यापक असर आने वाले समय में देखने को मिलेगा।