41 फर्जी पुलिस सत्यापन प्रमाणपत्र: पिंपरी-चिंचवड़ में बड़ा खुलासा!
मोबाइल फोन के जरिए चल रहा था फर्जी रैकेट, दो एजेंट गिरफ्तार
पुलिस सत्यापन प्रमाण पत्र घोटाला: पिंपरी चिंचवड़ में 41 फर्जी प्रमाण पत्र मिले
पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस ने एक बड़े फर्जी पुलिस सत्यापन प्रमाण पत्र रैकेट का भंडाफोड़ किया है। आतंकवाद निरोधक शाखा (एटीबी) ने इस रैकेट का पर्दाफाश किया है जिसमे 41 फर्जी प्रमाण पत्र मिले हैं। इस मामले में दो एजेंटों और उनके सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
यह रैकेट मोबाइल फोन के जरिए संचालित हो रहा था, जहाँ एजेंट कर्मचारियों से पैसे लेकर फर्जी पुलिस सत्यापन प्रमाण पत्र भेजते थे। एटीबी ने पिंपरी-चिंचवड़ शहर में विभिन्न कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के सत्यापन प्रमाणपत्रों की जाँच की, जिससे यह धोखाधड़ी सामने आई।
कैसे हुआ रैकेट का भंडाफोड़?
टीसीएल कंपनी, दिघी में ड्राइवरों, हाउसकीपिंग स्टाफ और सुरक्षा गार्ड के सत्यापन प्रमाणपत्रों की जांच के दौरान, एटीबी को कुछ कर्मचारियों के पास फर्जी पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (पीसीसी) मिले। पूछताछ में पता चला कि कर्मचारियों ने ₹1,200 से ₹1,600 देकर ये प्रमाणपत्र दो एजेंटों से खरीदे थे। जांच में कुल 41 फर्जी प्रमाण पत्र मिले हैं। कर्मचारियों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनके पास फर्जी प्रमाण पत्र हैं।
जांच से पता चला कि संदिग्ध व्यक्तियों से मोबाइल फोन के जरिए संपर्क होता था और जरूरी दस्तावेज़ भी मोबाइल पर ही भेजे जाते थे। 15 दिनों के भीतर फर्जी पुलिस सत्यापन प्रमाण पत्र मोबाइल पर भेज दिए जाते थे। इस रैकेट से जुड़े एजेंट येरवडा और चतु:श्रृंगी पुलिस स्टेशनों से समान पते पर फर्जी प्रमाण पत्र जारी कर रहे थे।
कौन हैं आरोपी?
एजेंट संदीप बंसोडे (येरवडा, पुणे निवासी) और सुनील रोकाडे (पिंपल गुरव निवासी) सहित अन्य सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। यह रैकेट 2021 से नवंबर 2024 तक चल रहा था। पुलिस आयुक्त विनय कुमार चौबे के मार्गदर्शन में पुलिस निरीक्षक विकास राऊत और उनकी टीम ने इस मामले में कार्रवाई की।
“हमारी प्राथमिकता ऐसे अपराधों को रोकना है जो लोगों के विश्वास का दुरूपयोग करते हैं,” पुलिस आयुक्त विनय कुमार चौबे ने कहा। “हमने इस मामले में कड़ी कार्रवाई की है और आगे भी ऐसी गतिविधियों पर नज़र रखेंगे।”
प्रभाव और आगे की कार्रवाई
इस रैकेट का भंडाफोड़ सार्वजनिक सुरक्षा और भरोसे के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह घटना सवाल उठाती है कि पुलिस सत्यापन प्रमाण पत्रों की प्रक्रिया में सुधार कैसे किया जा सकता है ताकि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी को रोका जा सके। पुलिस आगे की जांच कर रही है और अन्य संदिग्धों की तलाश कर रही है।
इस मामले में शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है, ताकि भविष्य में इस तरह के अपराधों को रोकने में मदद मिल सके। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना दें।