व्हाट्सएप पर मेडिकल सलाह: पुणे के डॉक्टर पर 3 लाख का जुर्माना!

एक डॉक्टर पर व्हाट्सएप के जरिए मेडिकल सलाह देने के लिए भारी जुर्माना, टेलीमेडिसिन पर बहस छिड़ी

पुणे में एक डॉक्टर पर व्हाट्सएप के जरिए मेडिकल सलाह देने पर 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस घटना ने टेलीमेडिसिन के उपयोग और चिकित्सा पेशेवरों के लिए जिम्मेदार व्यवहार के महत्व पर बहस छेड़ दी है।

क्या हुआ?

पुणे के एक डॉक्टर पर मरीज की जांच किए बिना व्हाट्सएप पर दवा लिखने के लिए 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इस लापरवाही के कारण मरीज की मौत हो गई, जिसके बाद शोक संतप्त परिवार ने उपभोक्ता मंच में शिकायत दर्ज कराई।

यह घटना 2019 की है, जब एक प्रतिष्ठित पुणे अस्पताल में डॉ. राजेश सिंह के इलाज में एक शिकायतकर्ता के पिता को एक चिकित्सा आपात स्थिति का सामना करना पड़ा था। उचित जांच के बजाय, डॉक्टर ने दवा की खुराक बढ़ा दी और व्हाट्सएप के माध्यम से इलाज जारी रखा, जिससे मरीज की स्थिति बिगड़ गई और दुर्भाग्य से उसकी मृत्यु हो गई।

आरोप

शिकायत में डॉ. दुग्गल (स्रोत सामग्री में दिया गया नाम अधूरा है और भ्रामक हो सकता है, सत्यापन की आवश्यकता है) पर घोर लापरवाही का आरोप लगाया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वह मरीज की स्थिति का ठीक से आकलन करने और मरीज के इलाज में शामिल पिछले डॉक्टरों से सलाह लेने में विफल रहे। शिकायतकर्ता के अनुसार, व्हाट्सएप पर दी गई दवा केवल एक गहन चिकित्सा इकाई में विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में ही दी जानी चाहिए थी।

शिकायतकर्ता के कानूनी दल के एक प्रतिनिधि ने कहा, "डॉक्टर के कार्यों ने व्यावसायिक चिकित्सा नैतिकता और रोगी सुरक्षा के लिए पूर्ण उदासीनता का प्रदर्शन किया।" व्यक्तिगत रूप से मूल्यांकन की कमी और महत्वपूर्ण चिकित्सा निर्णयों के लिए एक संदेश सेवा ऐप पर निर्भरता को लापरवाही के प्रमुख बिंदुओं के रूप में उद्धृत किया गया था।

फोरम का फैसला

अखिल भारतीय उपभोक्ता पंचायत के पुणे अध्याय के अध्यक्ष, विलास लेले ने बताया कि मंच ने डॉक्टर और अस्पताल दोनों के कार्यों को 'अवैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति' माना। डॉक्टर और अस्पताल द्वारा प्रस्तुत बचाव को खारिज करते हुए, मंच ने उन्हें 3 लाख रुपये का मुआवजा और 15,000 रुपये की मुकदमेबाजी लागत का भुगतान करने का आदेश दिया।

आदेश में आगे कहा गया है कि 45 दिनों के भीतर यह राशि का भुगतान करने में विफलता पर प्रति माह अतिरिक्त 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यह मजबूत निर्णय अपराध की गंभीरता और स्वास्थ्य क्षेत्र में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए मंच की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

प्रभाव और प्रतिक्रियाएँ

शिकायतकर्ता के वकील, श्रीराम करंदीकर ने इस फैसले के महत्व पर जोर दिया, यह कहते हुए कि यह चिकित्सा क्षेत्र में जवाबदेही स्थापित करने और रोगी के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। श्री करंदीकर ने कहा, "इस निर्णय को सभी चिकित्सा पेशेवरों के लिए जिम्मेदार और नैतिक प्रथाओं को प्राथमिकता देने की चेतावनी के रूप में काम करना चाहिए।"

इस मामले ने स्वास्थ्य सेवा में प्रौद्योगिकी के उपयोग और टेलीमेडिसिन परामर्श पर स्पष्ट दिशानिर्देशों की आवश्यकता पर व्यापक बहस छेड़ दी है। यह फैसला चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्मों के दुरुपयोग के संभावित कानूनी परिणामों को रेखांकित करता है और ऑनलाइन चिकित्सा परामर्श में शामिल चिकित्सा पेशेवरों की कड़ी निगरानी की वकालत करता है।

निष्कर्ष

डॉक्टर पर लगाया गया 3 लाख रुपये का जुर्माना जिम्मेदार चिकित्सा पद्धति के महत्व की कठोर याद दिलाता है। यह मामला महत्वपूर्ण चिकित्सा सलाह देने के लिए अनौपचारिक संचार चैनलों के उपयोग के संभावित खतरों पर प्रकाश डालता है और रोगी की सुरक्षा सुनिश्चित करने में व्यक्तिगत जांच और उचित चिकित्सा निरीक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है। इस ऐतिहासिक फैसले के भारत में चिकित्सा पेशे और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दूरगामी परिणाम होने की उम्मीद है।

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