पिंपरी-चिंचवड़: बीजेपी को चुनौती, 13 पूर्व पार्षदों ने छोड़ी पार्टी!

पिंपरी-चिंचवड़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी के 13 पूर्व पार्षदों ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है, जिससे पार्टी की स्थिति कमजोर हो गई है। इन पूर्व पार्षदों में से 8 भोसरी क्षेत्र से हैं।

भाजपा ने 2017 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के 15 साल के शासन को चुनौती दी थी और नगर निगम में अपना दबदबा बनाया था। शहर में भाजपा के उदय के बाद कई प्रभावशाली नेताओं ने भाजपा का दामन थामा था, और शहर में पार्टी ने स्थायी रूप से मजबूत पकड़ बनाई थी।

भाजपा में असंतोष का माहौल

हालांकि, हाल ही में पार्षदों में असंतोष बढ़ने के कारण भाजपा को आंतरिक संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है। कुछ पार्षदों का आरोप है कि उन्हें पदों का आश्वासन दिया गया था, लेकिन जिम्मेदारियों में उचित अधिकार नहीं मिले, जिससे उनके साथ लगातार अन्याय हुआ।

कौन-कौन ने छोड़ी भाजपा?

असंतोष के चलते भाजपा छोड़ने वाले नेताओं में चिंचवड़ के माया बारणे, बाबा बारणे, तुषार कामठे, चंद्रकांत नखाते, चंदा लोखंडे के साथ भोसरी के वसंत बोराटे, संजय नेवले, लक्ष्मण साष्टे, प्रियंका बारसे, भीमाबाई फुगे, सारिका लांडगे, रवि लांडगे, और एकनाथ पवार शामिल हैं।

इनमें से रवि लांडगे और एकनाथ पवार शिवसेना (ठाकरे गुट) में शामिल हो गए हैं, जबकि शेष पूर्व नगरसेवकों ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) में वापसी की है।

पार्षदों की शिकायतें क्या हैं?

इन पार्षदों का कहना है कि उनकी शिकायतों को अनदेखा किया गया और विकास कार्यों का श्रेय उन्हें नहीं दिया गया। उनका मानना है कि उनके काम को महत्व नहीं मिला, और पार्टी में उन्हें पर्याप्त जिम्मेदारियां नहीं दी गईं, जिससे उनकी नाराजगी बढ़ती गई।

बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती

बीजेपी के लिए यह घटना एक बड़ी राजनीतिक चुनौती बनकर उभर रही है, जिससे पार्टी के स्थानीय नेतृत्व और चुनावी रणनीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस चुनौती का सामना कैसे करती है और आगामी चुनावों में इसका क्या असर पड़ता है।

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