इस गांव में मारुति की गाड़ियां बैन, निंबा दैत्य की पूजा और हनुमान से जुड़ी वस्तुओं पर रोक

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में एक ऐसा गांव है, जहां भगवान हनुमान की पूजा करना तो दूर, उनका नाम लेना भी घोर पाप माना जाता है। यह गांव मुंबई से करीब 350 किलोमीटर दूर स्थित है, और यहां के लोग भगवान हनुमान के शत्रु माने जाने वाले निंबा दैत्य की पूजा करते हैं। इस गांव में भगवान हनुमान को लेकर इतनी नाराजगी है कि यहां ‘मारुति’ नाम सुनते ही लोग भड़क उठते हैं, क्योंकि हनुमान का एक नाम मारुति भी है।

निंबा दैत्य की पूजा का अनोखा रिवाज गांव के लोग मानते हैं कि उनके पूर्वज निंबा दैत्य ने हनुमान से युद्ध किया था, और उसी दैत्य को वे अपना आराध्य मानते हैं। यही कारण है कि यहां के लोग किसी भी रूप में हनुमान से जुड़ी चीजों को पसंद नहीं करते। यहां तक कि गांव में किसी भी धार्मिक या शुभ कार्य से पहले निंबा दैत्य महाराज की पूजा होती है।

मारुति की गाड़ियों पर सख्त पाबंदी गांव में मारुति कंपनी की गाड़ियां लाना भी पूरी तरह से प्रतिबंधित है। यदि कोई गलती से मारुति की गाड़ी लेकर गांव में आ जाता है, तो उसकी गाड़ी पर हमला कर दिया जाता है। गांववालों का मानना है कि हनुमान के नाम से जुड़ी कोई भी चीज उनके यहां नहीं आनी चाहिए, और मारुति कंपनी की गाड़ियों को यहां लाना एक बड़ा अपराध माना जाता है।

लाल झंडे पर भी प्रतिबंध गांव में न सिर्फ हनुमान के नाम, बल्कि लाल रंग का झंडा लगाने पर भी सख्त मनाही है। इसकी एक प्राचीन मान्यता है कि जब भगवान हनुमान संजीवनी बूटी लेने आए थे, तब यहां के पहाड़ देवता साधना में लीन थे। हनुमानजी ने पहाड़ देवता से बिना अनुमति लिए ही संजीवनी बूटी के लिए पर्वत उठा लिया, जिससे देवता की साधना भंग हो गई। गांव के लोग मानते हैं कि तभी से यहां के पहाड़ से लाल रंग का रक्त बह रहा है, और इसी कारण यहां लाल रंग के ध्वज का इस्तेमाल भी निषेध है।

शादी और अन्य रिवाज गांव के लोग अपनी बेटियों की शादी भी उन जगहों पर नहीं करते जहां हनुमान की पूजा की जाती है। यह अनोखा रिवाज और मान्यताएं यहां की संस्कृति का हिस्सा बन चुकी हैं, और गांववालों ने इसे आज भी सख्ती से अपनाया हुआ है।

निष्कर्ष इस गांव की मान्यताएं और परंपराएं बाकी दुनिया से बिल्कुल अलग हैं। यहां भगवान हनुमान का नाम लेना, उनसे जुड़ी कोई चीज इस्तेमाल करना, और मारुति की गाड़ियां लाना पूरी तरह से बैन है। यहां की आस्था निंबा दैत्य से जुड़ी है, और इसके पीछे की कहानियां गांववालों के विश्वास की प्रतीक हैं।

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